First test मैच में केएल राहुल 4th टेस्ट मैच में यशस्वी जायसवाल और अब वाशिंगटन सुंदर सवाल यह है कि क्या ऑस्ट्रेलिया की टेक्नोलॉजी ऑस्ट्रेलिया को ही फायदा पहुंचाने के लिए बनाई गई है क्योंकि पहले मैच में जब केएल राहुल का इंसीडेंट हुआ तब कहा गया जी टेक्नोलॉजी की तरफ देखिए टेक्नोलॉजी कहती है कि राहुल आउट थे जैसवाल वाले में कहा गया जी टेक्नोलॉजी खराब हो सकती है आंखों देखी देखिए और अब सुंदर में भी वही कहानी आई और इसीलिए सवाल उठने लगा कि भैया ऑस्ट्रेलिया में ऑस्ट्रेलियन टेक्नोलॉजी जो है वह क्या केवल ऑस्ट्रेलिया को फायदा करने के लिए पहुंचाई गई है क्योंकि जिस तरह से वाशिंगटन सुंदर को फिफ्थ टेस्ट मैच में आउट दिया गया उस आउट को लेकर कंट्रोवर्सी शुरू हो गई है
और यह सवाल उठ रहा है कि यार क्या टेक्नोलॉजी की मदद से ऑस्ट्रेलिया बेमानी कर रही है मतलब हम पहले और चौथे टेस्ट मैच के बीच में उलझे थे केएल राहुल के बैट ट पैट बॉल एक साथ लगी थी और कहा गया कि टेक्नोलॉजी में दिख रहा है कि बॉल लगी है इसलिए आउट दे दे रहे जैसवाल ने शॉट मारा था और कहा गया कि देखिए जी टेक्नोलॉजी में नहीं दिख रहा है लेकिन आंख से दिख रहा है कि बॉल हल्की घूमी है इसलिए आउट दे देते हैं टेक्नोलॉजी कई बार खराब हो सकती है लेकिन वाशिंगटन सुंदर केस सारी दुनिया कह रही है कि यार इस बार टेक्नोलॉजी भी खराब है और आउट नहीं
था राहुल को स्पाइक पर आउट दिया गया जैसवाल को दिया गया स्पाइक नहीं है लेकिन डिफ्लेक्शन है लेकिन इस बार वाशिंगटन सुंदर के केस में तो डिफ्लेक्शन नहीं था स्पाइक को लेकर आउट दिया गया और सारी दुनिया में सबने ट्वीट करना शुरू कर दिया खिलाड़ियों ने कहना शुरू कर दिया कि भाई साहब आउट नहीं हो सकता इंग्लैंड के कैप्टन थे माइकल वन जो वहां पर कमेंट्री भी कर रहे उन्होंने कहा यार नो वे इ ट आउट यह आउट नहीं हो सकता यह एक गलत फैसला है 66 ओवर चल था पर कमिंस गेंदबाजी करते हैं पिछली बार भी कमिंस ही थे जैसवाल के केस में इस बार भी कमिंस थे जैसवाल पल शॉट खेलने को करते हैं और आउट हो जाता है रिव्यू में दिखता है कि यार स्पाइक नहीं है लेकिन बॉल क्लोज थी और बॉल जो है घूम के जा रही है बिना किसी कंक्लूजन के तब आउट दिया गया था इस बार सुंदर्य केस में भी यही था बिना किसी कंक्लूजन एविडेंस के आउट दे जाता है अब सवाल ये उठता है कि अगर ऑन फील्ड अंपायर नॉट आउट दे रहा है आप रिव्यू ले रहे हो थर्ड अंपायर के पास फैसला जा रहा थर्ड अंपायर के पास टेक्नोलॉजी है लेकिन उस टेक्नोलॉजी से अगर थर्ड अंपायर कन्वेंस नहीं है टेक्नोलॉजी से जो सारी दुनिया देखती है क्योंकि टेक्नोलॉजी में आउट है या नॉट आउट है वह सबको दिखाया जाता है तो सवाल यह उठता है कि फिर आउट कैसे थर्ड अंपायर देता है क्योंकि थर्ड अंपायर भी इंसान है और अगर इंसान का ही फैसला लेना है तो उस इंसान का क्यों नहीं जो ग्राउंड पर है और अगर थर्ड अंपायर की कॉल लेनी है तो थर्ड अंपायर के फैसले हर बार बदल क्यों जाते हैं कई बार आंखों देखी फैसले कई बार इमोशंस पर फैसले कई बार टेक्नोलॉजी पर फैसले देर है टू बी अ पैरामीटर अगर तीसरा अंपायर श्यर नहीं है तो कैसे आउट हो सकता है यह सवाल बहुत इंपॉर्टेंट है क्योंकि वाशिंगटन सुंदर का आउट होना इंडिया पर इंपैक्ट पड़ा इंडिया के कुछ रन और बन सकते थे मतलब कोई स्पाइक नहीं था बॉल जब पास कर गई है फिर स्पाइक आया है बॉल जो थी वाशिंगटन सुंदर करीब भी नहीं आई कोई कांटेक्ट नहीं था ना बैट से ना ग्लव से लेकिन इसके बावजूद आउट दे दिया गया वाशिंगटन सुंदर का आउट होना इंडिया को इंपैक्ट कर गया इंडिया की हालत थोड़ी टाइट हुई शायद इंडिया 200 पार कर जाती और इसी के बाद सारी दुनिया ने सवाल शुरू कर दिया इंडिया से लेकर दुनिया भर के लोगों ने कि क्या यह आउट था या की टेक्नोलॉजी ऑस्ट्रेलिया को फायदा देने के लिए क्या चल
रहा है ये सेम कहानी जैसवाल को लेकर हुई थी वहां जैसवाल अगर बच जाते लास्ट मैच में तो इंडिया शायद व मैच ड्र करवा ले जाती राहुल के मामले में भी यही हुआ था पर्थ के फर्स्ट मैच में बैट और पैड दोनों लगा था और आउट दे दिया गया जबकि पैड टकराया था इंडिया 185 पर ऑल आउट हो जाती है ऑस्ट्रेलिया न रन पर एक विकेट गवा देती है रिषभ 40 रविन्द्र जडेजा 26 बुमराह 22 लेकिन सवाल फिर वही उठता है कि क्या वाशिंगटन सुंदर नॉटआउट थे उन्हें जबरदस्ती आउट दिया गया वो नॉट आउट होते तो इंडिया की कहानी अलग हो सकती थी इंटरेस्टिंग है और टेक्नोलॉजी के जरिए क्या बेईमानी हो रही है सवाल तो उठेंगे ना भाई हर बार पैरामीटर चेंज हो जा है कभी आंखों देखी कभी मशीन कभी भावनाएं कैसे चलेगा ऐसे
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