SA vs SL न्यूयॉर्क में दक्षिण अफ्रीका ने श्रीलंका को हराया 16 ओवर 2 गेंद में ।
अमेरिका में जब टी ट्वेंटी वर्ल्ड कप कराने की बात आई तो कहा गया कि ये वर्ल्ड कप को प्रमोट करना है।लेकिन जिस तरह की पिच साउथ अफ्रिका के पहले मैच में दिखाई पड़ी लंका के सामने उसको देख कर लगा की क्रिकेट की लंका तो नहीं लगा दी।साउथ अफ्रीका ने श्रीलंका को 6 विकेट से हरा दिया।उनकी शुरुआत जो है वो बड़ी शानदार रही।लगातार 8 मैच श्रीलंका के सामने जीत चुके हैं।लेकिन जिस तरह की पिच थी उसे देख कर फैंस के मन में आया कि यार टी ट्वेंटी क्रिकेट को क्या टेस्ट क्रिकेट बना दिया गया।क्योंकि हारने वाले कप्तान ने भी कहा कि हम पहले से जानते थे कि इस पिच पर डेढ़ सौ जैसा स्कोर तो हो नहीं सकता है।हम तो ये मान के बैठे थे की भाई 120 क्या हम बना पाएंगे है।हमें नहीं पता था कि हम 77 पर ही निपट जायेंगे और सेवेंटी सेवन बनाने की वजह से हम मैच हार गए।शुरुआत है।लेकिन जिस तरह से ये मैच चला, जिस तरह से इस मैच को चेज किया गया, उसमें 4 की इकॉनमी से रन बन रहे थे।और यही सवाल शुरू हो गया की साउथ अफ्रीका जैसी मांस्टर टीम जिसके पास इतने धाकड़ धाकड़ बल्लेबाज हैं, अगर वो 4 के स्ट्राइक रेट से खेल रही है तो फिर इस पिच पर क्या टी, ट्वेंटी, वर्ल्ड कप अपने शबाब पर हो।पाएगा, मीन, दिस, इस, द, मोस्ट, हार्ड, फॉर, टी, ट्वेंटी, मैच, 2, टेस्ट प्लेइंग, नेशन के बीच में इस तरह के स्लो मैचेस आपने नहीं देखे होंगे।श्रीलंका 77 रनों पर आल आउट हो जाती है और श्रीलंका का वर्ल्ड कप के इतिहास में ये लोएस्ट स्कोर होता है।लोवेस्ट श्रीलंका इससे कम वर्ड कप में कभी नहीं बना है।जो पिश थी वो बहुत डिफिकल्ट थी, फास्ट बॉलर्स के लिए मदद थी, स्पिनर्स के लिए मदद थी, बाउंस जो था, वो अनईवेन था, आउटफील्ड जो थी वो बहुत स्लो थी।और कुल मिलाकर सवाल यह उठ रहा था कि यार ये पेश टी ट्वेंटी वाले पेश नहीं है और क्या इससे क्रिकेट वाकई में प्रमोट हो पाएगा।ये सवाल भी अपने आप में बड़ा चल रहा था।सिक्स्टीन ओवर और किस टीम से, जिस टीम के पास कनटेडेकॉकथारीजा हैंड्रिक्स, है, एडन रम है, ट्रिस्टिन स्टप्स, है, क्लासेन है, डेविड मिलर यानी ऊपर से लेकर नीचे तक 6 नवंबर तक।जो बल्लेबाजों के नाम लिए हमने ये सारे धाकड़ प्लेयर हैं और इन सारे धाकड़ प्लेयर में खाली 1 खिलाड़ी अगर हटा दें रिजा हैंड्रिक।जो 4 रन बनाकर आउट हो गए तो कोई भी सवा सौ का स्ट्राइक रेट नहीं छु पाया।साउथ अफ्रीका से जो बताने के लिए काफी है कि अगर स्पिच सौ या उससे ऊपर रन बन गए होते तो कहानी अलग हो जाती है।बाउंडरीज बड़ी बड़ी है, आउटफील्ड बहुत स्लो है, बॉल पर जा ही नहीं रही है।क्या खून के आंसू रोने वाली है और क्या जिस टीम के पास सबसे ज्यादा डेप्त होगी वहीं इस पिच पर टिक पाएगा।वे कहानी कुछ ऐसी लगती है।श्रीलंका इस मार्च में कई सारे शर्मनाक रिकॉर्ड के हिस्सेदार बनी जैसे लोवेस टोटल, श्रीलंका का बना लोवेस, रनरेट, जो था वो श्रीलंका गया, लोवेस चौका 1 निंग में वो श्रीलंका के साथ गया, मतलब, कुल मिलाकर पिच पर 1 ऐसा दिन था जिससे श्रीलंका भूलना चाहेगी और श्रीलंका ने कहा भी कि यार यहाँ पर पिच समझने में टाइम लगेगा।हमने टॉस जीता गेंदबाजी करने का फैसला क्योंकि हमें लगा था कि हम 120 बना देंगे, आसानी से हमे रोक ले जायेंगे, हमारी गेंदबाजी में दम खम है लेकिन रन ीतने कम बने।लेकिन फिर कहानी वही है कि श्रीलंका 13 मई से प्रैक्टिस कर रही है और उसके बाद अगर उसे पिच समझ नहीं आ रही है तो फिर बाकी टीमों का क्या होगा।श्रीलंका की तरफ से केवल एंजेलो मैथ्यूस इकलौते प्लेयर थे जिन्होंने हंड्रेड प्लस के स्ट्राइक रेट से रन बनाये।बाकी सारे प्लेयर जो थे वो फ्लॉप चल रहे थे, पथराना अच्छी गेंदबाजी कर रहे थे।150 प्लस जो है उन्होंने यहां फेंका लेकिन बल्लेबाजों ने जबरदस्त तरीके से डिसअपॉइंट किया और वहीं डिसअपॉइंटमेंट जो है वो वजह बनी।
Post a Comment